बच्चों के मोटापे को न करें अनदेखा, हो सकता है कोरोना से भी ज्यादा घातक, जानिए एक्सपर्ट की राय

21वीं सदी की सबसे बड़ी समस्या बनके मोटापा चिंता का विषय बना है। खासकर के भारतीय बच्चों में बढ़ता मोटापा सेहत के बारें में सोचने के लिए मजबूर कर देता है। नारायण हेल्थ के मुताबिक, भारत मोटापे के मामलें में विश्व में दूसरे स्थान पर है। संख्या की बात करें तो 14.4 मिलियन मोटे बच्चें भारत में मौजूद है। ऐसे में बढ़ते हुए आकड़े चिंताजनक परिणामों और गंभीर बिमारियों की ओर ध्यान केंद्रित करना जरूरी हो जाता है। इस मुद्दे को संबोधित करते हुए डॉक्यूमेंट्री ‘हम अपने बच्चों को क्या खिला रहे हैं?’ में डॉक्टर और मैडिकल शोधकर्ता डॉ क्रिस वैन टुल्लेकेन अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड खाने के अपने महीने भर के प्रयोग के बारें माए बताते है। इस प्रयोग के माध्यम से वे बताते हैं कि अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड का सेवन कैसे एक बच्चे के शरीर और मस्तिष्क के काम करने के तरीके को बदल सकता या प्रभाव डालता है।

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बच्चों का मोटापा क्यों है बड़ी चिंता
डॉ टुल्लेकेन ने मोटापे को अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड की वजह से होने वाली बीमारी बताया। और कहा कि “दुनिया भर में, मुझे लगता है, यह कोरोनावायरस से अधिक गंभीर चिंता का विषय है।” वह बताते है, मोटापा तीन कारणों से बड़ी चिंता है। सबसे पहले, बच्चे का मोटापा इस समय लाइलाज है। बच्चों का वजन कम नहीं होता और बाद में वे अधिक वजन वाले वयस्क बन जाते हैं। जो की आखिर में कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करते हैं। आगे चल के ऐसे लोग कठिन जीवन जीते हैं क्योंकि उनका शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होता है। यह आर्थिक रूप से भी एक बड़ी समस्या है क्योंकि जैसे-जैसे बच्चे मोटापे से पीड़ित होते हैं, उनकी शिक्षा भी प्रभावित होती है। मोटापा पर्यावरण के लिए बहुत बुरा है क्योंकि हम तेल और कई चीज़े बनाने के लिए उष्णकटिबंधीय जंगलों को काटते रहें है जिसे ताड़ के पेड़ उगाए जा सकें।

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बच्चों के स्वास्थ्य पर असर
बात दें, जैसे कुपोषित बच्चें पर्याप्त मात्रा में भोजन न खाने से कई बिमारियों के शिकार होते है, वैसे ही मोटे बच्चें उन बीमारियों से पीड़ित होते हैं जिन्हें आप सामान्य रूप से पर्याप्त भोजन न करने से जोड़ते हैं। इसका कारण अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड पोषण सामग्री में बहुत कम होना हैं।

बचपन में मोटापे का कारण
डॉ टुल्लेकेन ने खुलासा किया कि डॉक्यूमेंट्री पर काम करते हुए, उन्होंने महसूस किया कि अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड ही बचपन में मोटापे का एकमात्र कारण है। “कोई भी भोजन जो प्लास्टिक के पैकेटों में बेचा जाता है और जिसमें ऐसी सामग्री होती है जो आपके रसोई घर में नहीं होती है, वह अति-प्रसंस्कृत भोजन होता है। ऐसे भोजन निश्चित रूप से यूके और भारत में भी तेजी से बढ़ रहे हैं। हालांकि कई लोग मानते है की एक्सरसाइज न करना मोटापे का कारण है एक्सरसाइज में कमी या न करना मोटापे की वजह नहीं हैं।

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मोटापे का शरीर और दिमाग पर असर
मोटापा केवल बचपन में ही नहीं बल्कि वयस्कता के दौरान भी स्वास्थ्य संबंधी चिंता है। यह टाइप 2 मधुमेह, जोड़ों का दर्द, कैंसर और दिल का दौरा पड़ने का खतरा बढ़ता, अवसाद और पाचन संबंधी समस्याएं होती है। और यह समय के साथ बढ़ती जाती है।

बात दें, मोटापा आगे चलकर बच्चों के मानसिक विकास में भी बाधा डाल सकता है। एक्सपर्ट कहते है कि “इन बच्चों को न केवल सोना मुश्किल होता है बल्कि सीखने में भी मुश्किल होती है। भोजन में कोई पोषण नहीं होता है इसलिए वे अच्छा प्रदर्शन नहीं करते हैं। उनके साथियों भी उन्हें तंग करते है, जिससे उनका मानसिक स्वास्थ्य खराब होता है।

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मोटापे को कैसे रोके
ध्यान दें, मोटापे को रोकने के लिए एक संतुलित स्वस्थ आहार आवश्यक है। उन्होंने कहा, “भारत में, एक पारंपरिक भारतीय आहार बहुत स्वस्थ है जिसमें ताजे फल और सब्जियां, दालें, अनाज, चावल आदि शामिल हैं। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वसा, तेल या नमक है या नहीं। साथ ही उन्होंने कहा, पश्चिमी ब्रेड, अनाज, कैंडी बार, फ्लेवर्ड योगहर्ट्स, चिप्स और कई सुविधाजनक भोजन से बचना चाहिए।
बात दें, डॉक्यूमेंट्री ‘हम अपने बच्चों को क्या खिला रहे हैं?’ का प्रीमियर 4 अक्टूबर को रात 8 बजे सोनी बीबीसी अर्थ पर होगा।

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