30 से ज्यादा उम्र की महिलाओं के लिए 5 आवश्यक बातें

मानव का शरीर जन्म से लेकर बूढ़े होने तक अनेक परिवर्तनों से गुजरता है। जैसे-जैसे हम उम्र बढ़ती है वैसे ही हमारें शरीर मेटाबॉलिज्म को धीमी कर देता हैं जिससे मधुमेह और उच्च रक्तचाप जैसी बीमारियां होती हैं। ऐसे में खासकर महिलाओं पर बढ़ती उम्र में काम का प्रेशर और कई अनगिनत जिम्मेदारियों को निभाते समय स्वास्थ्य से सम्बन्धित समस्या हो सकती है। प्रोएक्टिव फॉर हर(her)की क्लीनिकल डायरेक्टर डॉ गीता औरंगाबादकर बताती है कि लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियों को रोकने और उन्हें जड़ से खत्म करने का सबसे अच्छा तरीका है कि सालाना चेकअप कराएं।

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30 साल की उम्र में पांच महत्वपूर्ण परीक्षण करवाए

  • सीबीसी

पूर्ण रक्त गणना (सीबीसी) एक रक्त परीक्षण है जिसका इस्तेमाल स्वास्थ्य का मूल्यांकन करने और एनीमिया, संक्रमण और ब्लड कैंसर जैसी कई बीमारियां के बारें में मददत करता है। सीबीसी से कई चीज़ों का पता चलता है। इनमें लाल रक्त कोशिकाएं (R.B.C s), श्वेत रक्त कोशिकाएं (W.B.C s), हीमोग्लोबिन, हेमटोक्रिट (Hct) और प्लेटलेट्स शामिल हैं।

  • लिपिड प्रोफाइल

लिपिड प्रोफाइल रक्त में लिपिड नाम के वसा अणुओं की मात्रा को मापता है। पैनल परीक्षण कई प्रकार के कोलेस्ट्रॉल को मापता है। यह परीक्षण हृदय रोगों के जोखिम और रक्त वाहिकाओं के स्वास्थ्य की जांच करने में मदद करता है। औरंगाबादकर बताती हैं कि इस बातों के पता होने से आप अपने खाने की आदतों, आहार, तनाव, व्यायाम और जीवन शैली को सकारात्मक दिशा में बदल सकते है। साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि थायराइड और पीसीओएस आमतौर पर लिपिड प्रोफाइल की वजह से होते हैं।

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  • थायराइड फंक्शन टेस्ट

भारत में लगभग 10 में से 1 महिला को थायराइड की समस्या है। शुरू में लक्षण धीमे होते हैं और अक्सर लंबे समय तक किसी का ध्यान नहीं जाता, इसलिए थायराइड की समस्याओं के लिए जांचना करना जरूरी है। औरंगाबादकर कहती है कि ज्यादातर रिपोर्ट में लक्षण अनियमित पीरियड्स, वजन का बढ़ना, बालों का झड़ना हैं।

  • ब्लड सुगर

डॉ गीता औरंगाबादकर बताती है कि 35-49 उम्र ज्यादातर महिलाओं में मधुमेह देखा जाता है। कई लोगों में लक्षण कफू समय तक नहीं दिखी देते। बात दें कि मधुमेह इंसुलिन के उत्पादन को बढ़ा देता है। इंसुलिन की जरूरत ब्लड सुगर की उर्जा को शरीर तक पहुँचाने के लिए होती है।

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  • पैप स्मीयर

पैप स्मीयर गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर के जांच की प्रकिया है। इसका उपयोग गर्भाशय ग्रीवा की कोशिकाओं में परिवर्तन का पता लगाने के लिए भी किया जाता है जो बाद में कैंसर में बदल सकता है। इस प्रक्रिया में आपके गर्भाशय ग्रीवा से कोशिकाओं के कोमल स्क्रैपिंग से नमूना लेती है जिसे बाद में असामान्य कोशिकाओं या संक्रमण के लिए माइक्रोस्कोप के तहत जांच की जाती है। 30 वर्ष और उससे अधिक उम्र की महिलाएं हर 5 साल में परीक्षण पर विचार कर सकती हैं जो एक पैप स्मीयर को एक एचपीवी परीक्षण (ह्यूमन पेपिलोमावायरस) के साथ जोड़ देगा।

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